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bhagavad gita jayanti kyu Manaya jata hai

श्रीमद् भागवत गीता जयंती क्यों मनाया जाता है जानिए (bhagavad gita jayanti kyu Manaya jata hai )

bhagavad gita jayanti kyu Manaya jata hai:- ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था वह दिन  मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी थी , और इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है । इस दिन उपवास करने की भी अधिक महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है । Gita Jayanti के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है, शरीर स्वस्थ रहता है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को धर्म और कर्म के महत्वपूर्ण सिद्धांतों का उपदेश दिया था । गीता के उपदेशों में जीवन की सार्थक पहलुओं , धर्म और कर्म का ज्ञान बताया गया है इस लेख को आगे डिटेल में पढ़े –

गीता जयंती क्यों मनाया जाता है ?

श्रीमद् भागवत गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसके जयंती मनाई जाती है । इसमें विशेषता यहां है कि गीता का जन्म स्वयं भगवान श्री कृष्ण के मुख से हुआ था । गीता में प्रत्येक श्लोक भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकला है , जिसके कारण इसे एक अनोखा बनाता है और गीता जयंती को एक विशेष तौर पर मनाया जाता है ।

श्रीमद्भागवत गीता कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर और युद्ध अर्जुन उसके मार्गदर्शन भगवान श्री कृष्ण के बीच एक संवाद है । भगवन श्री कृष्णा ने भगवान श्री अर्जुन को गीता का उपदेश व गीता का ज्ञान दिया था । श्रीमद् भागवत गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती हर वर्ष मनाई जाती है । गीता को श्रीमद् भागवत गीता और गीतोपनिषद  के नाम से भी जाना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि गीता की शिक्षाओं का पालन करने से सभी प्रश्नों और संख्याओं का समाधान हो जाता है ।

गीता में श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों का पालन करने से व्यक्ति में कठिनाइयों के बावजूद भी सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो जाती है । बहुत देश में जीवन को जीने की कला , प्रबंधन , और कर्म सब कुछ है । इसलिए इस गीता का पाठ करना बहुत महत्वपूर्ण होता है ।

गीता जयंती क्यों और कब मनाया जाता है?

गीता जयंती हर वर्ष मार्ग शीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है । शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार , आज से 5160 वर्ष पूर्व , मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था । इस उपदेशों का वर्णन संजय ने राजा धृतराष्ट्र को सुनाया था । संजय, वेदव्यास के शिष्य थे और उन्हें ऐसी दिव्य शक्ति प्राप्त थी कि वहां युद्ध स्थल की पूरी घटना को वहां मौजूद न होते हुए भी वह देख व् सुन भी सकते थे ।

गीता जयंती का महत्व (bhagavad gita jayanti)

हिंदू धर्म में श्रीमद् भागवत गीता के साथ-साथ गीता जयंती को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है । गीता में लिखा है हर श्लोक में मानव कल्याण के लिए लाभकारी माना जाता है । गीता के उपदेशों का पालन करके माध्यम से भगवान श्री कृष्ण ने मनुष्य को अच्छे बुरे और सही गलत का अंतर बताएं । इस दिन गीता का पाठ करने से भगवान श्री कृष्णा की कृपा होती है ।

भगवान श्री कृष्ण अर्जुन के बीच संवाद

श्रीमद्भागवत गीता कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर और युद्ध अर्जुन उसके मार्गदर्शन भगवान श्री कृष्ण के बीच एक संवाद है । इस ग्रंथ में संस्कृत में लिखे गए हैं 700 श्लोक है , जिसमें 574 इस लोग भगवान श्री कृष्णा और 84 श्लोक अर्जुन द्वारा बोले गए है । इसके अलावा संजय द्वारा बोले गए 41 स्लो के सहित धृतराष्ट्र का एक श्लोक इसमें शामिल है । श्रीमद् भागवत गीता को मारा महाभारत के भीष्म पर्व में शामिल किया गया है , जिसमें कुरुक्षेत्र की लड़ाई के पहले 10 का वर्णन है ।

श्रीमद्भागवत गीता में श्लोक

श्रीमद्भागवत गीता में कुल 18 अध्याय है , जिसकी सूची इस प्रकार है :

  • अध्याय 1 – विषाद योग (46 श्लोक)
  • अध्याय 2 – सांख्य योग (72 श्लोक)
  • अध्याय 3 – कर्म योग (43 श्लोक)
  • अध्याय 4 – ज्ञान योग (42 श्लोक)
  • अध्याय 5 – कर्म वैराग्य योग (29 श्लोक)
  • अध्याय 6 – अभ्यास योग (47 श्लोक)
  • अध्याय 7 – परमहंस विज्ञान योग (30 श्लोक)
  • अध्याय 8 – अक्षर परब्राह्मण योग (28 श्लोक)
  • अध्याय 9 – राजविद्या गुरु योग (34 श्लोक)
  • अध्याय 10 – विभूति विस्तार योग (42 श्लोक)
  • अध्याय 11 – विश्वरूप दर्शन योग (55 श्लोक)
  • अध्याय 12 – भक्ति योग (20 श्लोक)
  • अध्याय 13 – क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग (35 श्लोक)
  • अध्याय 14 – गुणत्रय विभाग योग (27 श्लोक)
  • अध्याय 15 – पुरुषोत्तम योग (20 श्लोक)
  • अध्याय 16 – देवासुर -संपद-विभाग योग (24 श्लोक)
  • अध्याय 17 – श्रद्धात्रय-विभाग योग (28 श्लोक)
  • अध्याय 18 – मोक्ष उपदेश योग (78 श्लोक)

श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेशों का वर्णन है , श्रीमद् भागवत गीता के टोटल 18 अध्याय है इसमें भगवान श्री कृष्ण ने भगवान अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था । दोस्तों अगर आप भी श्रीमद् भागवत गीता का ज्ञान पाना चाहते हैं तो श्रीमद् भागवत गीता में पूरे 18 अध्याय है । आप इस श्रीमद् भागवत गीता को पढ़कर श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच जो संवाद है उपदेशों का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ।

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