history of kashi vishwanath Temple:- बनारसी ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे और वीडियो ग्राफी के विवाद में काफी सालों पुराने में हुए सर्वे और वीडियोग्राफी की विवाद में काफी पराने काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास को जन्म दे दिया है । इस मामले कारण सभी अवधारणा के आधार पर दावे किया जा रहा है कि यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद करने बनाया गया ।
पौराणिक मान्यताओं की माने तो काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास युगों से चलती आ रही है । काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है भगवान शिव का या मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा नदी किनारे स्थित है ।
काशी विश्वनाथ मंदिर को विश्वेश्वर नाम से जाना जाता है । यह मंदिर पिछले के हजारों सालों से वाराणसी में स्थित है , इस मंगल शासको द्वारा कई बार दोस्त किए गए काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म का पति का पावन मंदिरों में से एक माना जाता है । इस मंदिर से जुड़े कई रोचक इतिहास के बारे में जानकारी –
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (Kashi Vishwanath Mandir)
उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित इस मंदिर को भगवान शिव को अर्पण किया गया था , जो धरती की सबसे पवित्र नदी गंगा के तट पर विराजमान है । इसे भगवान के 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल किया जाता है और इसे विश्वेश्वर नाम मंदिर के नाम से कहा जाता है ।
इस मंदिर को कहा जाता है कि भगवान शिव और पार्वती की आदि स्थान है । एक कथा के अनुसार जब देवी पार्वती अपने पिता के घर पर रह रही थी और वहां उसे सुखी नहीं महसूस हो रहा था तो उन्होंने भगवान शिव से अपने साथ बना राशि ले जाने के लिए प्रार्थना की भगवान शिव ने इस प्रार्थना को सुनकर उन्हें काफी लिए गया और यहां विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया गया ।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है यह मंदिर गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का दोबारा निर्माण 11वीं सदी में राजा हरिश्चंद्र ने करवाया था । सन 1194 ईस्वी में मोहम्मद गौरी ने इसे ध्वस्त कर दिया था परंतु मंदिर का पूरा निर्माण कराया गया लेकिन 1447 ईस्वी में इसे एक बार फिर से जैनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने तोड़ दिया । इतिहास के पन्नों में झांकने पर यहां ज्ञात होता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण और तोड़ने की घटनाएं 11वीं सदी से लेकर 15वीं सदी तक चलते रही है।
औरंगजेब ने कराया मंदिर को ध्वस्त
हां सही है , औरंगजेब ने 17 सी सदी में काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था । औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़कर उसी स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद की नहीं रखी थी । इस शहर से हरकत के पीछे उसका उद्देश्य था भारत में हिंदू के प्रति अपने साहसी आशय माटी को प्रकट करना और अपने धार्मिक आधरसन को प्रमोट करना ।
1585 में राजा टोडरमल की हेल्प से पंडित नारायण भट्ट ने विश्वनाथ मंदिर की पुन निर्माण करवाया था लेकिन दोबारा 1632 में शाहजहां ने इसे ध्वस्त करने के लिए अपनी भेजी , इसके बावजूद सेना ने अपने उद्देश्यों को हासिल नहीं कर पाया ।
इसके बाद औरंगजेब ने 18 अप्रैल 1669 में मंदिर को एक बार फिर से ध्वस्त कर दिया । यह घटना भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण प्रकरण है जो धार्मिक सहिष्णुता और संस्कृति के संदर्भ में उभरी विवादों को दर्शाती।
औरंगजेब ने इस क्रिया ने हिंदू मुस्लिम संगठन में नए तनाव को उत्पन्न किया और उसने भारत के सामाजिक और धार्मिक संरचना में विवादों को बढ़वा दिया । इस घटना ने भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण एक घटना की भूमिका निभाई जो धर्म और संस्कृति पर राजनीतिक संबंधों के क्षेत्र में हुई
मंदिर का पुनर्निर्माण 1780 में
काशी विश्वनाथ में लगभग 125 वर्षों तक वहां कोई मंदिर नहीं था । जो वर्तमान समय में बाबा विश्वनाथ मंदिर है । इसका पूर्ण निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में करवाया था । इसके बाद में महाराजा रंजीत सिंह ने 1853 इस मंदिर में1000 किलोग्राम सोने का दान दिया था ।
इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य , संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद, महर्षि दयानंद और गोस्वामी तुलसीदास जैसे महान आध्यात्मिक व्यक्तियों ने भी इस मंदिर का दर्शन किया था ।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मस्जिद का विवाद
मंदिर के पास ही विवादित ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है , जो विवादों का केंद्र बना हुआ है । इस स्थान पर चले विवादों के कारण काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित इस मस्जिद में विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समृद्धि संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला है इस विवाद के पीछे भारतीय समाज में विभिन्न संस्कृति और धार्मिक दृष्टिकोण का संघर्ष है।
ज्ञानवापी मस्जिद का स्थान काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप होने कारण इस पर आदर्श और धार्मिक स्थल की प्रतिष्ठा की मामले में विवाद उत्पन्न हुआ है, और यह एक चर्चा के केंद्र बनाए जो राष्ट्रीय स्तर पर विवाद में । ऐसा कहा जाता है की मस्जिद मंदिर की मूल जगह पर बनाई गई है ।
मस्जिद को मुगल शासक और औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर बनवाया था । इसके पीछे भी एक दिलचस्प कथा है जिसका उल्लेख मशहूर के इतिहासकार डॉक्टर विश्वंभर नाथ पांडे की पुस्तक ”भारतीय संस्कृति मंगल विरासत औरंगजेब के फरमान” में मिलता है ।
ज्ञानवापी मस्जिद नाम कैसे पड़ा
ज्ञानवापी मस्जिद का नाम अकबर ने 1585 में विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद की नीव रखने का नाम दिन- ए- इलाही के तहत रखी गई मान्यताओं के अनुसार जो की एक नया मजहब था । इस विवादित स्थान के बीच जिससे ज्ञानवापी कहा जाता है यह गहरा हुआ है जो मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर को जोड़ता है । इस कुएं के नाम के आधार पर ही मस्जिद का नाम ज्ञानवापी रखा गया था ।
स्कंद पुराण के अनुसार , भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से स्वयं इसको एक को बनाया था , जिसे लिंगाभिषेक के लिए इस स्थान पर है शिवजी ने अपने पत्नी पार्वती को ज्ञान दिया था जिसे हम ज्ञानवापी या ज्ञान को हुआ कहते हैं ।
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FAQ
1. कशी विश्वनाथ मंदिर पर आक्रमण ?
Ans – 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया। यह फ़रमान आज भी एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में सुरक्षित है। इस विनाश का वर्णन तत्कालीन लेखक साकी मुस्तैद खान द्वारा लिखित ‘मसीदे आलमगिरी’ में किया गया है। औरंगजेब के आदेश पर यहां के मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया गया।
2. औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने का आदेश क्यों दिया था ?
Ans- इस्लाम की स्थापना के लिए उत्सुक महामहिम ने सभी प्रांतों के राज्यपालों को काफिरों के स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया और इन काफिरों के धर्म की शिक्षा और सार्वजनिक अभ्यास को पूरी तत्परता से बंद करने का आदेश दिया। history of kashi vishwanath temple varanasi in hindi
3. काशी का रियल नाम क्या ?
Ans- इस पुरी के बारह प्रसिद्ध नाम हैं- काशी, वाराणसी, अविमुक्त क्षेत्र, आनंदकानन, महाश्मशान, रुद्रवास, काशिका, तपस्थली, मुक्तिभूमि, शिवपुरी, त्रिपुरारिराजनगरी और विश्वनाथनगरी।
4. काशी विश्वनाथ में ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति कैसे हुई है ?
Ans- एक दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव से उन्हें अपने घर ले जाने के लिए कहा। भगवान शिव ने देवी पार्वती की बात मानी और उन्हें काशी ले आये और यहाँ स्वयं को विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित किया। जिसका जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी में राजा हरिश्चंद्र ने कराया था।
5. औरंगजेब को किसने और कैसे मारा ?
Ans- औरंगजेब की हत्या करने वाले शख्स का नाम बुंदेला राजा वीर छत्रसाल है। उन्होंने इस कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और महाप्रभु जी के कहे अनुसार ही औरंगजेब के शरीर पर एक चीरा लगाया, जिसके कारण वह 3 महीने तक बिस्तर पर ही छटपटाता रहा और इस प्रकार 1707 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।
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