भारत का पांचवा धाम बालाजी पुरम मंदिर का इतिहास जानिए

मंदिर भारत के राज्य मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित है प्रकृति के बीच बने इस मंदिर जो की सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पठार में स्थित है । यहां बालाजीपुरम मंदिर बैतूल जिले में स्थित एक दर्शनीय स्थल है जो कि बैतूल से 7 किलोमीटर दूर बैतूल बाजार में स्थित है ,श्री रुक्मणि बालाजी मंदिर लगभग 111 फीट की ऊंचाई जो लोगों के लिए एक भगवान शिव की आस्था एवं आकर्षण का केंद्र बना हुआ है । balajipuram Temple history in hindi में सम्पूर्ण जानकारी आगे पढ़े –

बालाजीपुरम मंदिर (balajipuram)

बालाजीपुरम मंदिर में मध्य भारत के मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में स्थित है ,जो की सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पठार में स्थित है । बैतूल के दक्षिण भू भाग में है, जिसे भारत के पांचवा धाम के नाम से जाना जाता है । बैतूल से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर जिसे बैतूल बाजार या बालाजीपुरम के नाम से जाना जाता है ।

बालाजी पुरम मंदिर भगवान रुक्मणी बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है । इस मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर भगवानों की मूर्तियां बनाई गई है साथ ही मुख्य द्वार पर दो बड़े हाथी भी बनाए गए हैं । प्रवेश द्वार से मुख्य मंदिर तक गंगा कुंड मानव निर्मित तालाब भी है जिसमें मछलियां , बदक और फवारा है । इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 111 फिट है और और यह पीले रंग का है इसलिए यहां स्वर्ण मंदिर जैसा दिखाई देता है । यहां स्थान बैतूल बाजार नगर पंचायत के अंतर्गत आता है , जिला मुख्यालय राष्ट्रीय राजमार्ग 69 पर है। आप रुक्मणी बालाजी का दर्शन करने के लिए किसी भी मौसम में आ जा सकते हैं ।

बालाजीपुरम मंदिर का इतिहास

बालाजीपुरम मंदिर भारत का पांचवा धाम है जो की सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पठार दक्षिणी भूभाग पर स्थित है । बालाजी पुरम मंदिर की शुरुआत सैम जी वर्मा ने की थी , सैम जी वर्मा एक इंजीनियर थे जिन्होंने अपने माता-पिता की स्मृति में बनाया था ।

सैम जी वर्मा इंजीनियर बनने के बाद 60 के दशक में अमेरिका चले गए थे , लेकिन मैं अपनी मातृभूमि को कैसे भूल सकते थे । सैम जी वर्मा भारतीय संस्कृति की मिट्टी से जुड़े हुए व्यक्ति थे और वह अपने वतन भारत आ गए । सैम जी वर्मा भारत के मूल निवास बिहार का रहने वाला था । कई दशक पहले वह व्यक्ति लाकर बज गए , उनका पूरा परिवार शिव भक्त था ।

जब वे सन 1966 में अपने परिवार के साथ में भगवान बालाजी के दर्शन करने गए थे । उन्हों यहां विचार किया कि ऐसा भव्य मंदिर हम बैतूल में बनाएंगे फिर उन्होंने तमिलनाडु के इंजीनियर से इस बारे में बात की और कई विशेषज्ञ से चर्चा भी किया और रुक्मणी बालाजी मंदिर का मॉडल तैयार करवाया ।

रुक्मणी बालाजी मंदिर निर्माण के समय सैम जी वर्मा ने दुनिया भर के आर्किटेक्चर और इंजीनियर को बुलाकर रिसर्च किया और एक मॉडल बनाया । वर्मा जी को यहां मॉडल पसंद आया और इस मॉडल में बहुत सारे रामायण काल के यादो को संजोया गया है ।

इस मॉडल में स्टैचू गुफा और बहुत सारे रामायण की खूबसूरत चीजों संजोया , कल आकृति को आर्टिफिशियल तरीके से बनाया है और कई साल इस मंदिर को बनाने में लगे मंदिर की सुंदरता आचार्य जनक कलाकृतियाँ को प्रकृति के बीचो-बीच बने इस मंदिर की सुंदर लोगों को अपनी और आकर्षित करती है , यहां पर रामायण कल की कई सारे यादों को आर्टिफिशियल तरीके से स्टैचू बनाया गया है ।

दक्षिण भारत के प्रख्यात वास्तुकार डिजाइन के काम में शामिल थे , मंदिर का निर्माण आंध्र प्रदेश के कलाकारों ने करवाया था इसकी प्रमुखता वास्तु शास्त्र पर आधारित है । या हमारे संस्कृति पूजा , सामाजिक संस्कृति , आदि का परिचय देता है । रुक्मणी बालाजी मंदिर 10.5 एकड़ में फैला हुआ है ।

सैम जी वर्मा ने सभी शंकराचार्य को यहां पर इकट्ठा कर क्या हवन करवा कर प्राण प्रतिष्ठा से इस मंदिर के सभी शंकराचार्य ने अपने इच्छा से इस मंदिर को 4 फरवरी 2001 को श्रद्धेय ए शंकराचार्य और श्रद्धेय हिंदू संतों की उपस्थिति में इसे भारत का पांचवा धाम घोषित किया गया था । तब से भारत का पांचवा धाम रुक्मणी बालाजी के नाम से प्रसिद्ध है ।

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रुक्मणी वाले जी धाम का वर्णन

रुक्मणी बालाजी मंदिर लगभग 111 फीट ऊंचाई है , यह 10.5 एकड़ में फैला हुआ है । यहां पर काफी कुछ बना हुआ है जैसे मंदिर के रुक्मणी बालाजी मंदिर के सामने ठीक स्थिति गरुड़ मंदिर , सामने गरुड़ मंदिर के ठीक पीछे स्थित ध्वज स्तंभ । और यहां पर शेषनाग जी का भी बहुत बड़ा गुफा बना हुआ है जो आर्टिफिशियल तरीके से डिजाइन किया गया है जो लोगों को काफी आकर्षित करती है और बहुत सारे लोग गुफा में घुसकर आनंदित होते हैं ।

इसके अलावा यहां पर भगवान शिव का पूरा शिव परिवार की स्टेचू बनी हुई है , और साथ ही त्रिदेव का स्थल भी बनाया गया है । शेषनाग के सामने हनुमान मंदिर है , और राइट साइड में नवग्रह मंदिर स्थित है । जब आप चित्रकूट धाम में जाते हो तो एंट्री फीस ₹20 प्रति व्यक्ति का चार्ज लेता है । चित्रकूट धाम में अब दो तरीके से जा सकते हैं पहले आप पैदल जा सकते हैं दूसरा आप नौका विहार से बैठकर जा सकते हैं इसका चार्ज ₹30 प्रति व्यक्ति का चार्ज लगता है ।

क्षीरसागर

जब आप मुख्यमंत्री के दर्शन करने के बाद क्षीरसागर जाते हैं जिसमें भगवान विष्णु के पानी के भीतर मछलियों के कई प्रजातियों के साथ भगवान विष्णु का मूर्ति विराजमान है भगवान विष्णु शेषनाग पर बैठे हुए हैं ।

चित्रकूट धाम

चित्रकूट धाम में रामायण की परी कथाओं को संजोया गया है , यहां पर हर घटनाओं को आर्टिफिशियल स्टैचू के साथ दर्शाया गया है । भगवान राम के जीवन से जुड़ी विभिन्न घटनाओं को प्रदर्शित किया गया है , यहां पर आप फोटो या सेल्फी भी ले सकते हैं । भगवान राम के जीवन शैली को आर्टिफिशियल स्टैचू द्वारा दर्शाया गया है , जैसे की रथ पर विराजमान राम लक्ष्मण और थोड़ा आगे चलने पर सीता स्वयंवर कक्ष जहां पर भगवान राम धनुष बाण तोड़ते हुए स्टैचू बना है ।

और थोड़ा आगे चलने पर ”वन गमन चले राम सिया लक्ष्मण संग जहां पर बनवास जाते हुए , राम के पिता श्री राजा दशरथ विलाप करते हुए , रामघाट, राम विश्राम, भरत विलाप , गुरु वशिष्ठ आश्रम , मयूर नृत्य, ऋषि अगस्त आश्रम, लक्ष्मण घाट ”इत्यादि घटनाओं जो की रामायण काल की राम राज्य को एक आर्टिफिशियल तरीके से दर्शाया गया है और यह रामायण काल की यह सारी घटनाएं वास्तविक घटनाओं पर आधारित है ।

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